आज के इस लेख में जीण माता की आरती दी गई है, इस आरती का गान करते हुए माता की पूजा कर सकते हैं या उन्हें याद कर सकते हैं।
जयंती माता को जीण माता के नाम से भी जानते है। इसे मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। जीण माता यादव, पंडित, राजपूत, अग्रवाल, जांगिड़ और मीना जातियों की कुलदेवी हैं। कलकत्ता में काफी संख्या में जीण माता के भक्त निवास करते हैं और वे अक्सर माता रानी के दर्शन करते हैं।
जीण माता का शक्तिपीठ मंदिर राजस्थान के सीकर के पास ओरान पर्वत में स्थित है। जीण माता को भगवती दुर्गा की अभिव्यक्ति माना जाता है। आज की दुनिया में, कई क्षेत्रों के लोगों द्वारा माता को उनकी कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है। आइये अब जीण माता की आरती पर नज़र डालते हैं
जीण माता की आरती लिरिक्स
ओम जय श्री जीण मइया , बोलो जय श्री जीण मइया
सच्चे मन से सुमिरे , सब दुःख दूर भया
ओम जय श्री जीण मइया
ऊंचे पर्वत मंदिर , शोभा अति भारी
देखत रूप मनोहर , असुरन भयकारी
ओम जय श्री जीण मइया
महासिंगार सुहावन , ऊपर छत्र फिरे
सिंह की सवारी सोहे , कर में खड़ग धरे
ओम जय श्री जीण मइया
बाजत नौबत द्वारे , अरु मृदंग डैरु
चौसठ जोगन नाचत , नृत्य करे भैरू
ओम जय श्री जीण मइया
बड़े बड़े बलशाली , तेरा ध्यान धरे
ऋषि मुनि नर देवा , चरणो आन पड़े
ओम जय श्री जीण मइया
जीण माता की आरती , जो कोई जन गावे
कहत रूड़मल सेवक , सुख सम्पति पावे
ओम जय श्री जीण मइया
ओम जय श्री जीण मइया , बोलो जय श्री जीण मइया
सच्चे मन से सुमिरे , सब दुःख दूर भया
ओम जय श्री जीण मइया>
इन्हें भी देखें