आज के इस लेख में सिद्धिदात्री माता की आरती दिया गया है, सिद्धिदात्री माता आरती का उपयोग करते हुए माता जी की पूजा कर सकते हैं और धन, बुद्धि और ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।

मां सिद्धिदात्री की कृपा से भगवान शिव ने आठ सिद्धियां प्राप्त की थीं। अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व सिद्धियाँ हैं। भगवान शिव को अर्धनारीश्वर नाम दिया गया था क्योंकि सिद्धिदात्री के परिणामस्वरूप शिव का आधा शरीर देवी में बदल गया था। हिमाचल में उनका उल्लेखनीय तीर्थ स्थान नंदा पर्वत है। ऐसा माना जाता है कि, भगवान शिव ने देवी की कृपा से आठ सिद्धियाँ प्राप्त कीं, उनकी पूजा करने से आठ सिद्धियाँ और साथ ही धन, बुद्धि और ज्ञान प्राप्त होता है।

सिद्धिदात्री माता का रूप: चार भुजाओं वाली माता सिद्धिदात्री लाल साड़ी में विराजमान हैं और कमल पर विराजमान हैं। उनके चार हाथ अभी भी सुदर्शन चक्र, शंख, गदा और कमल धारण करते हैं। माँ सिद्धिदात्री के सिर पर एक विशाल मुकुट और उनके चेहरे पर एक हलकी मुस्कान है।

Maa Siddhidatri Aarti | सिद्धिदात्री माता की आरती हिंदी में

सिद्धिदात्री माता की आरती

जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता
तू भक्तो की रक्षक  तू दासो की माता

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि,
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि  !!

कठिन  काम  सिद्ध  कराती  हो  तुम ,
जभी  हाथ  सेवक  के  सर  धरती  हो  तुम  !!

तेरी  पूजा  मैं  तो  न  कोई  विधि  है ,
तू  जगदम्बें  दाती  तू  सर्वसिद्धि  है  !!

रविवार  को  तेरा  सुमरिन  करे  जो ,
तेरी  मूर्ति  को  ही  मन  मैं  धरे  जो  !!

तू  सब  काज  उसके  कराती  हो  पूरे ,
कभी  काम  उस  के  रहे  न  अधूरे  !!

तुम्हारी  दया  और  तुम्हारी  यह  माया ,
रखे  जिसके  सर  पैर  मैया  अपनी  छाया !!

सर्व  सिद्धि  दाती  वो  है  भागयशाली ,
जो  है  तेरे  दर  का  ही  अम्बें  सवाली  !!

हिमाचल  है  पर्वत  जहाँ  वास  तेरा ,
महा नंदा मंदिर मैं है वास  तेरा  !!

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता ,
वंदना है  सवाली तू जिसकी दाता !!

सिद्धिदात्री की पूजा कैसे करें

मां सिद्धिदात्री को कमल का फूल चढ़ाने के साथ-साथ घी का दीपक जलाना शुभ माना जाता है। इसके अलावा मां को भेंट किए गए किसी भी फल या भोजन को लाल कपड़े में ढककर रखें। जरूरतमंदों को खाना खिलाने के बाद ही खाएं।

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